बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक परिवर्तनों के तकनीकी कारकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर -
आधुनिक समय में सामाजिक परिवर्तन के कारकों में प्रौद्योगिकी को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। नये-नये आविष्कारों, यंत्रों, उपकरणों के तेजी से निर्माण से सामान्य व्यक्ति तो यह मानता है कि प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन का एकमात्र कारक है। इस बात को कुछ विशेषज्ञों जैसे - कार्ल मार्क्स, बेब्लेन आदि ने स्वीकार किया है। इस विचार से हम सहमत हों या न हों किन्तु यह मानना पड़ेगा कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव मानव जीवन में व्यापक रूप से पड़ा है जिससे सामाजिक परिवर्तन के अन्य कारण प्रौद्योगिकी की तुलना में पीछे छूट गये हैं व गौण हो गये हैं।
सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकी की भूमिका का विवेचन करने से पहले इसका अर्थ समझ लेना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी किसी उद्देश्य की पूर्ति करने वाले साधनों से संबंधित उपकरण अथवा ज्ञान है अर्थात् उद्देश्य पूर्ति के साधन प्रौद्योगिकी नहीं हैं। जैसे पत्र लिखने का साधन फाउण्टेन पेन है, यात्रा करने का साधन मोटर गाड़ी है तो फाउण्टेन पेन की मशीन अथवा मोटर गाड़ी के निर्माण का ज्ञान व पहिए का आविष्कार प्रौद्योगिकी है। इसलिए प्रो. सरन ने लिखा है, "किसी उद्देश्य अथवा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए द्वितीय तथा उच्च श्रेणी की व्यवस्था को प्रौद्योगिकी कहा जाता है। इस तरह यदि किसी उद्देश्य की पूर्ति की मशीनें साधन हैं तो संक्षेप में इन मशीनों के निर्माण करने के ज्ञान को प्रौद्योगिकी करेंगे।' प्रौद्योगिकी को स्पष्ट करते हुए लेपियर ने लिखा है, "प्रौद्योगिकी से तात्पर्य उन सभी विधियों, ज्ञान की शाखाओं व कुशलताओं से है जिनके द्वारा मनुष्य भौतिक तथा जैवकीय तथ्यों को नियंत्रित करता है व प्रयोग में लाता है।"
मैकाइवर प्रौद्योगिकी को मूर्त, मापनीय तथा प्रदर्शनीय मानता है। इस तरह प्रौद्योगिकी आधुनिक समाज की ही विशेषता नहीं। यह तो हर समाज, हर काल में किसी न किसी रूप में मिली है। प्रौद्योगिकी की आधुनिक समय में जैसी तीव्रता से प्रगति हुई है वैसी इसके पहले कभी नहीं हुई। इसलिए आधुनिक युग को 'प्रौद्योगिकी का युग' माना जाता है। आधुनिक समय में प्रौद्योगिकी में चार कारक प्रमुख हैं जो समाज में व्यापक तीव्र परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी हैं। वे हैं -
1. यंत्रीकरण
2. कृषि की नवीन प्रविधियां
3. संचार के उन्नत साधन
4. नवीन उत्पादन प्रणाली जो सामाजिक जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती
मैकाइवर तथा पेज ने प्रौद्योगिकी के प्रत्यक्ष प्रभाव के अन्तर्गत नवीन श्रम संगठन कार्यों का विशेषीकरण, समय पालन, शीघ्र कार्य सम्पादन को तथा अप्रत्यक्ष प्रभाव के अन्तर्गत शहरों की संख्या. वृद्धि, बेकारी, प्रतिद्वन्द्विता अपराध, जीवन स्तर की धारणा, समाज के नये वर्गों के निर्माण को सम्मिलित किया है।
1. प्रौद्योगिकी का सामाजिक जीवन पर प्रभाव
प्रौद्योगिकी सामाजिक जीवन को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करती है -
(i) सामुदायिक जीवन में ह्रास - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप विशाल नगरों का विकास होता है। उनकी जनसंख्या में वृद्धि ही नहीं होती वरन् जनसंख्या में भिन्नता व विशिष्टता भी बढ़ती है। यह स्थिति व्यक्तियों के घनिष्ठ संबंधों के अनुकूल नहीं होती। अतएव सामुदायिक जीवन में ह्रास होता है, एकता व दृढ़ता में कमी होती है।
(ii) व्यक्तिवादिता - प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप व्यक्तिवादिता में वृद्धि होने लगती है। व्यक्ति की प्रतिष्ठा धन व उसके गुणों के आधार पर की जाती है अतएव व्यक्ति अपने सुख, स्वार्थ अर्थात् व्यक्तिवादी आदर्शों को प्रमुखता देता है।
(iii) मकानों की समस्या - आधुनिक प्रौद्योगिकी से औद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई है। विशाल कारखानों का निर्माण हुआ है जिससे बहुसंख्या में श्रमिक व कर्मचारी नगरों में रहने लगे हैं। इसी अनुपात में आवास व्यवस्था नहीं हो सकी अतएव रहने की समस्या व गंदी बस्तियों का विकास हुआ।
(iv) स्त्री-पुरुषों के अनुपात में भेद - नगरों में आवास व्यवस्था की समस्या उग्र होती जा रही है। पहले तो किराये पर मकान मिलना कठिन है और जो मिलता भी है उसका किराया इतना अधिक है कि श्रमिक की शक्ति व साधन के परे होता है। वह गाँव के परिवार छोड़कर नगर में अकेले रहता है। इससे वह पारिवारिक जीवन के स्वस्थ प्रभाव से वंचित होता है। पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक होने से नगरों में यौन अपराध, कुप्रवृत्तियाँ व दुराचरण बढ़ने लगता है।
(v) मनोरंजन का व्यापारीकरण - प्रौद्योगीकरण के कारण मनोरंजन के साधनों का व्यापारीकरण हो गया है। पहले के सस्ते, शिक्षाप्रद, सामूहिक मन बहलाव के साधन जैसे भजन, कीर्तन, लोकगीत, लोकनृत्य की लोकप्रियता बहुत कम हो गई है। उनका स्थान सिनेमा, क्लबों आदि ने ले लिया है। इनका उद्देश्य स्वस्थ मनोरंजन न होकर लाभ कमाना होता है। इनमें नैतिक गुणों के क्षरण की चिन्ता नहीं वरन् पैसा कमाने की धुन प्रमुख है।
(vi) मानसिक तनाव, चिन्ता व रोग - औद्योगीकरण से विशाल उद्योग-धंधे पनपे हैं। इनसे दुर्घटना, बेकारी, हानि, अनिश्चितता बढ़ी है। इससे मानसिक चिन्ता, तनाव व स्नायु रोगों में वृद्धि हुई है। प्रदूषण से जान-माल के लिए खतरे की घंटी बजी है।
(vii) अपराध, व्यभिचार, संघर्ष व प्रतिस्पर्धा - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप औद्योगीकरण व नवीनीकरण की प्रतिक्रिया तीव्र हुई है। सामाजिक नियंत्रण के परम्परागत साधन शिथिल हुए हैं। जिससे अपराध, व्यभिचार व संघर्ष में वृद्धि हुई है। व्यापार और वाणिज्य की प्रगति से प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है।
2. पारिवारिक जीवन पर प्रभाव
प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को अनेक ढंगों से प्रभावित और परिवर्तित किया है।
(i) संयुक्त परिवार का विघटन - आधुनिक प्रौद्योगिकी ने व्यक्तिवाद को बढ़ावा दिया है। इससे सामूहिक जीवन को धक्का लगा है। इसलिए संयुक्त परिवार विघटित और अलोकप्रिय हो रहे हैं। उनका स्थान एकाकी परिवार ले रहे हैं। आवास की समस्या, महंगाई, गतिशीलता, नौकरी के नये-नये अवसर संयुक्त परिवार पर आघात कर रहे हैं।
(ii) स्त्रियों का नौकरी करना - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप स्त्रियों को बाहर भी नौकरी करने का अवसर मिला है। इसके भी अनेक परिणाम हुए हैं। स्त्रियाँ आर्थिक दृष्टि से आत्म-निर्भर हुई हैं। इससे पारिवारिक जीवन में समस्यायें उत्पन्न हुई हैं। तनाव उत्पन्न हुए हैं। विवाह-विच्छेद व पारिवारिक जीवन के विघटन की समस्यायें बढ़ी हैं।
(iii) परिवार के कार्यों में कमी - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण परिवार के कार्यों में कमी हुई है। अनेक समितियों ने परिवार के कार्यों को करना शुरू किया है। होटल, कैण्टीन, लाण्ड्रियां, टेलरिंग हाउस, बच्चों के लिए नर्सरी, किंडरगार्टेन व मनोरंजन केन्द्रों ने परिवार के अनेक कार्यों को करना शुरू कर दिया है। इससे परिवार के कार्यों में कमी आई है, महत्व कम हुआ है।
(iv) प्रेम, अन्तर्जातीय, विलम्ब विवाह व विवाह विच्छेद - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं जिनमें युवक व युवतियों को एक-दूसरे के निकट आने के अवसर मिले हैं। वे साथ-साथ स्कूल व कालेज में पढ़ते हैं। मिल-फैक्ट्री व दफ्तर में साथ-साथ काम करते हैं। सिनेमा, होटल में साथ-साथ मिलते हैं। इसमें प्रेम विवाह व अन्तर्जातीय विवाहों में वृद्धि होती है। विलम्ब विवाह को प्रोत्साहन मिलता है और विवाह विच्छेद की दर में वृद्धि होती है।
3. धार्मिक जीवन पर प्रभाव
(i) धर्म के प्रभाव का घटना - विज्ञान की प्रगति व उसके प्रचार से लोगों में धर्म की प्रचलित अनेक कुरीतियां व संस्कारों व अन्धविश्वासों का ज्ञान हुआ है जिससे धर्म में आस्था कम हुई है। धर्म के आधार पर किये जा रहे शोषण का विरोध बढ़ा है।
(ii) धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि - नगरों में विभिन्न धर्मावलम्बियों को साथ-साथ रहने, काम करने के अवसर मिले हैं। इससे अज्ञात के प्रति भय और आशंका का निवारण हुआ है कूपमण्डूकता कम हुई है, उदारता व सहनशीलता बढी है।
(iii) धर्म निरपेक्षीकरण - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण धर्म के व्यापक प्रभाव क्षेत्र में कमी हुई है। लोग यह सोचने लगे हैं कि हर बात, हर विषय में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। धर्म निरपेक्षता को आधुनिकता व प्रगति का परिचायक माना जाता है।
4. राज्य पर प्रभाव
(i) राज्य के दायित्व में वृद्धि - प्रौद्योगिकी के कारण हमारा जीवन गतिशील हुआ है। अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक व आर्थिक समस्याओं को जन्म मिला है जिससे राज्य के सुरक्षा व कल्याण विषयक कारकों में वृद्धि हुई है। कल्याणकारी राज्य की धारणा से राज्य के दायित्व बहुत बढ़ गये हैं।
(ii) राज्य द्वारा नियंत्रण - द्वैतीयक समूहों व संबंधों की वृद्धि से परम्परागत नियंत्रण के साधन जैसे प्रथा, परम्परा, लोकरीति, रूढ़ियां, संस्कार नियंत्रण में कमजोर पड़ रहे हैं। आत्म नियंत्रण के औपचारिक साधन, मुख्य रूप से कानून की महत्ता बढ़ी है। आज राज्य अनेक प्रकार के कानूनों का निर्माण कर सामाजिक जीवन को नियंत्रित करता है।
5. ग्रामीण समुदाय पर प्रभाव
(i) नगरीकरण का प्रभाव - पहले ग्राम व नगर में स्पष्ट अन्तर था। किन्तु आर्थिक प्रौद्योगिकी के कारण गाँव नगर से बहुत प्रभावित हो रहे हैं। गाँव नगर की सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण करते जा रहे हैं तथा नगर व ग्राम की दूरी कम होती जा रही है।
(ii) ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - पहले ग्राम आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर थे। अनेक छोटे-छोटे उद्योग-धंधों से उनका आर्थिक जीवन समृद्ध था किन्तु विशाल कल-कारखाने से ग्रामीण लघु उद्योग धंधों को क्षति पहुँची है। नगरों पर उनकी निर्भरता बढ़ी है।
(iii) नये यंत्रों-उपकरणों के उपयोग में वृद्धि - ग्रामीण जीवन आधुनिक प्रौद्योगिकी से पहले सादा व सरल था। वैज्ञानिक प्रगति से वह अछूता था। किन्तु जब आधुनिक यंत्र व उपकरण गाँव में पहुँचने लगे हैं। उनके प्रयोग में रुचि बढ़ी है। इससे पिछड़े व विघटित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में सुधार की सम्भावनायें बढ़ी हैं।
6. आर्थिक जीवन पर प्रभाव
(i) पूँजीवाद का विकास - प्रौद्योगिकी के विकास से बड़े-बड़े कल-कारखानों की स्थापना हुई। इससे उत्पादन कई गुना बढ़ा है। इसका लाभ पूँजीपतियों को मिला। श्रमिकों का शोषण हुआ। पूँजीवादी व्यवस्था विकसित हुई।
(ii) श्रम विभाजन व विशेषीकरण में वृद्धि - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण श्रम विभाजन में वृद्धि हुई। विशेषीकरण आवश्यक हो गया। हर क्षेत्र में विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ने लगी है।
(iii) जीवन का ऊँचा स्तर - बड़े पैमाने पर उत्पादन होने, उद्योग-धंधों के पनपने से व्यापार और वाणिज्य में प्रगति हुई। आज देश के अन्दर ही व्यापार सीमित नहीं वरन् विदेशों से भी व्यापार होने लगा है। सादा जीवन, उच्च विचार का आदर्श धूमिल पड़ा है। आवश्यकतायें बढ़ी हैं जिसे जीवन स्तर में सुधार माना जाता है।
(iv) आर्थिक संकट और बेकारी उत्पादन - बड़े पैमाने पर होने से उसकी मात्रा मांग से अधिक बढ़ गई है। साथ ही उत्पादन के नये-नये यंत्र व उपकरणों का निर्माण होता रहता है जो प्रतिस्पर्धा व आर्थिक संकट को जन्म देते हैं। मशीनों के अधिकाधिक प्रयोग से अनेक श्रमिक बेकार हो गये हैं। प्रौद्योगिकी से संघर्ष, बीमारी व दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। मंदी और महंगाई से अनेक देश कराह रहे हैं।
इस तरह प्रौद्योगिकी का प्रभाव सामाजिक जीवन पर अत्यधिक पड़ा है। लेपियर ने लिखा है, "हम इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते कि सामाजिक व्यवस्था में प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। आर्थिक, राजनैतिक और विचार संबंधी परिवर्तनों में ही नहीं बल्कि युद्ध व क्रांतियों तक में प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण आधार रही है।" ग्रीन ने भी लिखा है कि, "प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन में प्रभावशाली कारक है क्योंकि इससे सामाजिक मूल्य तथा व्यवहार आदर्श प्रभावित होते हैं।" इसी लेखक ने एक तथ्य की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। वह लिखता है - "यद्यपि प्रौद्योगिकी ने सामाजिक परिवर्तन में ज्यामितीय दर से वृद्धि की है लेकिन फिर भी यह कारक अकेले ही सामाजिक परिवर्तन उत्पन्न नहीं करता।"
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?